कान का दर्द (Otalgia)
कान का दर्द किस कारण से हो रहा है, इसका पता लगा लेना जरूरी है ताकिउसी के अनुसार चिकित्सा की जा सके। इसे भी ध्यान में रखना ठीक होगा कि पीड़ा अथवा समस्या (1) बाहरी कान (External Ear) (2) मध्य कान (MiddleEar) तथा (3) भीतरी कान (Inner Ear) में कहाँ पर हो रही है। कान की बीमारियों में (1) कान का दर्द (Otaligia) (2) कान का बहना (Otorrhoea) (3) कान में आवाजों का आना (Meniere) तथा (4) बहरापन (Deafness)
प्रमुख बीमारियाँ होती हैं।
कान दर्द
(a) मर्क विन आयोड 30- जब ठण्डी हवा के लगने से कान में दर्द आरम्भ हो गया हो तब इस दवा को देना ठीक रहता है।
(b) पल्सेटिला 30, 200- कान से पीड़ित बच्चों के लिए उपयुक्त दवा है।
(c) केमोमिला 200- अत्यधिक कान की पीड़ा में तत्काल राहत देती है।
(d) वेलेडोना 30- कान दर्द में उपयोगी दवा। कान का बहना (Ostorrhoea) कान के बहने में हिपर सल्फ 30, 200 कैप्सिकम 30, साइलेशिया 30, 200 टल्यूरियम 200 प्रभावकारी दवायें हैं। मूलेन आयल भी कान पकने की औषधि है, इसकी 2-3 बूँद प्रतिदिन कान में डालना चाहिए।
कानों में आवाजें आने की स्थिति में कैलकेरिया कार्व 200 ग्रेफाईटिस 30, चिनियम सल्फ 200 तथा डिजिटेलिस 30 अच्छी औषधियाँ हैं।
बहरापन (Deafness)
बहरेपन के निदान हेतु एसिड फास 200, कैलिम्यूर 30. फॉस्फोरस 30 तथा ग्रेफाइटिस 30 बड़ी उपयोगी दवायें हैं। कनफड़ (Mumps) हेतु पल्सेटिला 30, वेलेडोना 30 तथा एर्वोटिनम 30 बड़ी ही प्रभावकारी होमियोपैथी की औषधियाँ हैं।