1. नाक के अर्बुद (Polyp in Nose)
इस रोग में नाक से अन्दर झिल्ली बन जाती है, जिससे नाक बन्द सी होने लगती है।
(a) मर्क सोल 30- नाक में अर्बुद की यह एक बहुत अच्छी दवा मानी जाती है।
(b) वेराइटा कार्व 30- जब टान्सिल के साथ नाक में अर्बुद हो।
(C) कैलकैरिया कार्व 30- जब नाक तथा कान दोनों स्थानों पर अर्बुद हो।
2. छीकें (Sneezing)
नाक में एलर्जी के कारण प्रायः छीकें आने लगती है तथा नाक से पानी भी आने लगता है, कभी-कभी नाक बन्द होने लगती है।
(a) साइलेसिया 200- नाक से पानी आने लगता है तथा तीव्रता से छीकें आती है। यह दवा पुरानी छीकों के उपचार में भी लाभप्रद मानी गयी है।
(b) अमोनियम कार्व 30- रोगी ठण्डी हवा सहन नहीं कर पाता है। सुबह उठते ही बार-बार छीकें आने लगती है। सिर खुला रहने से भी छीकें और जुकाम हो जाता है।
3. नकसीर (Epistaxis)
नाक से बार-बार खून निकलने को नकसीर कहते हैं। नकसीर आने पर नाक पर बर्फ अथवा ठण्डा पानी लगाने से भी आराम मिल जाता है।
(a) वायनिया 30- गर्मी के मौसम में नकसीर की यह मुख्य औषधि है।
(b) वेलेडोना 30- नाक में रक्तस्राव होता है। चेहरा लाल-लाल हो जाता है।
(c) अर्निका 200- किसी भी प्रकार की चोट लगने से नाक से रक्त का बाहर आना।