किडनी का कार्ये शरीर से अशुध्दियों को निकालना है। लेकिन जब किडनी अपना काम करना बंद कर देती है तो उस अवस्था को किडनी dysfunction कहते है। यह एक जानलेवा बीमारी है लेकिन लाइलाज नहीं है। किडनी एक अपने आप मे बहुत ही ताकतवर अंग है लेकिन हमारे गलत खान पान की वजह और गलत दवाओं के इस्तेमाल की वजह से किडनी की बीमारी पैदा होने लगती। इस बीमारी में हमारे शरीर में कैल्शियम प्रोटीन की भी कमी होने लगती है और शरीर मे पोटेशियम, यूरिया, और क्रिटिनिन बढ़ने लगता है और अंगों को खराब करने लगता है।
उपचार
सबसे पहले अपने मन को स्थिर करे। ये जानकारी फ्री है लेकिन अनमोल है क्योंकि इस उपचार के जरिए बहुत से मरीजो का उपचार किया जा रहा है । और मेरा विश्वास करिये जो लोग जीने की उम्मीद छोड़ चुके थे वो अब एक सुंदर जीवन व्यतीत कर रहे है। लेकिन दुख की बात यह है कि ज्यादातर लोग तभी होमेओपेथी उपचार करते है जब उनकी सभी उम्मीदे टूट जाती है और तब तक काफी देर हो चुकी होती है। लेकिन फिर भी होमेओपेथी काफी हद तक सफल हो जाती है । किड़नी के उपचार के लिए एलोपैथिक और आयुर्वेदिक डॉक्टर बहुत मोटा पैसा वसूल करते है ।
मेरी एक बात हमेशा याद रखिये होम्योपैथी की केवल एक दवा जो आपके रोग के लक्षणों से मेल खाये । आपके रोग को जड़ से मिटा देती है।
इस बीमारी में हमारे द्वारा ज्यादातर दी जाने वाली दवाइंया नीचे है। इस बीमारी में हम आयुर्वेद, एलोपैथी और होमेओपेथी तीनो का इस्तेमाल करते है। क्योंकि मैंने अपने अनुभव से यही सीखा है।
1- Phosphorus 30C दिन में 2 बार।
1- Urea 6C , 6 बूंद एक चम्मच पानी मे दिन में 3 बार।
2- NEERI KFT Syrup (आयुर्वेदिक दवा) 2 – 2 चम्मच दिन में 5 बार।
3- Amyron Syrup (आयुर्वेदिक दवा ) 2 -2 चम्मच दिन में तीन बार।
4- Dytor 20 (एलोपैथी) की एक गोली दिन में एक बार ।
5 – ऊपर लिखी दवाइयां सुरु करने के एक हफ्ते बाद PROTINX POWDER की एक चम्मच एक कप दूध में दिन में एक बार शुरू करें। और डब्बा खत्म होने के बाद दूसरा डब्बा 15 दिन बाद दोबारा शुरू करें / अगर क्रिटिनिन ज्यादा बढ़ा हुआ है तो POROTINX POWDER नहीं लेना चाहिए।
सावधानी:- अपना ब्लड प्रेशर बिल्कुल न बढ़ने दे। ब्लड प्रेशर मापक यंत्र अपने पास रखें। तथा सब्जी से नमक निकाल दे। खट्टा या मीठा, तला हुआ बिल्कुल न खाए।
क्या खाएँ:- टिंडा, लोकी, तोरी, परवल, तथा रोटी से अलग कुछ ना खाएं, हफ्ते में एक बार मूंग की दाल धुली हुई सिर्फ एक कटोरी खा सकते है।
बीच बीच मे अपना टेस्ट करवाते रहे । ये दवाई आपको 2 शाल तक लेनी पड़ेगी। आपको संयम रखना पड़ेगा। किडनी के ज्यादातर मरीजो की मृत्यु इसीलिए होती है कि वो अपना संयम खो देते है और बड़े से बड़े हॉस्पिटल में जाकर हताश हो जाते है। याद रखिये ठीक होने के लिए आत्मबल की आवश्यकता होती है।
मरीज अशवनी कुमार , उत्तराखंड हरिद्वार। मोत के मुंह से निकलकर आये है। ऊपर दी गई दवाइयों से ही इनका उपचार किया जा रहा है। ये तस्वीर डियालीसिस के समय की है जहाँ पर रोज रोज इनका डियालीसिस हो रहा था और ये अपनी जिंदगी से दूर होते जा रहे थे। लेकिन किस्मत से इनके एक रिश्तेदार ने हमसे कांटेक्ट किया और इन्हें तुरंत वहीं पर ये दवाइयां हॉस्पिटल के उपचार के साथ साथ ही देनी सुरु की गई और इनकी जान बचाई जा सकी। ये जानकारी जनहित के लिए है। बहुत शुकून मिलता है मुझे जब मैं किसी ऐसे की मदद करता हूँ।
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