टॉन्सिलाइटिस – Tonsillitis
टॉन्सिल में सूजन आ जाने को टॉन्सिलाइटिस कहते हैं।
कारण : खाने-पीने, सर्दी अथवा नजला-जुकाम आदि से टॉन्सिल फूल जाते हैं।
लक्षण : गला दुखना, बुखार, निगलने में गले मे दर्द आदि।
● प्रथम अवस्था मे जब सूखी ठंड लगने से टॉन्सिल सूज जाए। तेज बुखार, बेचैनी व घबराहट हो – (एकोनाइट 30, दिन में 3 बार)
● टॉन्सिल चमकीले लाल रंग के, फुले हुए(उनमें जख्म भी हो सकता है), जलन व डंक लगने जैसा दर्द; टॉन्सिल खुश्क महसूस हो पर प्यास न हो – (एपिस मेल 30, दिन में 3 बार)
● जब बार बार टॉन्सिलाइटिस हो, बच्चा शर्मीली प्रकृति का हो – (बैराइटा कार्ब 30 या 200, दिन में 3 बार)
● गला व टॉन्सिल लाल, सूजे हुए, निगलने में दर्द, बुखार – (बेलाडोना 30, दिन में 3 बार)
● जब बुखार के कारण रोगी सुस्त हो व चुपचाप लेटना चाहे, प्यास न हो, टॉन्सिल पर सुरसुराहट हो – (जलसेमियम 30, दिन में 3 बार)
● जब टॉन्सिल पकने के कारण असह्य दर्द हो, गला छूने तक से डर लगे, रोगी ठंडी प्रकृति का हो- (हिपर सल्फ 30, दिन में 3 बार)
● टॉन्सिल पर जख्म, सांस बदबूदार, खूब लार बहे, रात में दर्द व बुखार बढ़े – (मर्क सॉल 30, दिन में 3 बार)
● जब टॉन्सिल बार बार परेशान करे – (बैसिलिनम 1M या ट्यूरबरकुलाइनम 1M, की 1 खुराक 2-3 सफ्ताह के अंतर से दें)
● जब गले मे स्ट्रेप्टोकोकाई इंफेक्शन (Streptococci infection) हो – (स्ट्रेप्टोकोकस 200, 2-3 खुराक)
● जब गले मे स्टेफाइलोकोकाई इंफेक्शन (Staphylococci infection) हो – (स्टेफाइलोकोकस 200, 2-3 खुराक)
● बायोकैमिक दवा – (बायो नं. 10, दिन में 4 बार)
फाइटोलक्का Q, 10 बून्द, एक कप गुनगुने पानी मे डाल कर दिन में 3-4 बार गरारे करें। यदि ठंडा पेय लेने या किसी चीज के खाने से रोग बढ़ता हो तो ऐसी चीज़ों का इस्तेमाल न करें।